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आस्ट्रेलिया मेँ विक्टोरिया राज्य की सरकार ने हिन्दी को राष्ट्रीय पाठ्यक्रम मेँ शामिल करने का निर्णय लिया है जो विश्व मेँ हिन्दी के महत्व तथा भारतीयोँ के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है । हिन्दी वहाँ बोली जाने वाली दस शीर्ष भाषाओँ मेँ शामिल है । लेकिन यह बहुत चिँताजनक है कि भारत की राष्ट्रभाषा होने के बावजूद भी हिन्दी अपने ही देश मेँ उपेक्षित है । यहाँ हर क्षेत्र मेँ अँग्रेजी का प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है तथा सरकार खामोश है । आजादी के छह दशक बीतने के बाद भी शिक्षा तथा सरकारी कामकाज मेँ अँग्रेजी भाषा का प्रयोग दिनोँदिन बढ़ता ही जा रहा है । हम स्वतंत्र तो हुए हैँ लेकिन अँग्रेजियत की जंजीरोँ मेँ अभी भी जकड़े हुए हैँ । हमेँ हिन्दी तथा भारतीय भाषाओँ को पूरी शक्ति के साथ राष्ट्र जीवन के हर क्षेत्र मेँ अनिवार्य रुप से लागू करना होगा तभी हम अपनी प्राचीन गौरवमयी सँस्कृति को बचाए रख सकते हैँ । अतः भारत सरकार को चाहिए कि हिन्दी के पक्ष मेँ कानून बनाकर इसे भारत की पहचान के रुप मेँ मान्यता प्रदान करे । – सुरेन्द्रपाल वैद्य ,
मण्डी ( हि. प्र. )
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