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शराब का … ?

शब्दस्वर
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अर्धसैनिक बलोँ के शीर्ष अधिकारियोँ को भी अब सेना की तरह ही कैँटीन मेँ जितनी चाहे शराब मिलेगी । इस प्रकार के निर्णय से तो शराब के प्रचलन को बढ़ावा ही मिलेगा जो समाज के हित मेँ नहीँ है । देश की जनता सेना को आदर्श तथा बहादुरी के प्रतीक के रुप मेँ देखती है । सरकार देश मेँ नशाखोरी की बढ़ती समस्या को दूर करने के लिए कई कार्यक्रम तथा योजनाएं बनाती है । नशाविरोधी दिवस पर भाषण तथा रैलियोँ का आयोजन किया जाता है । दूसरी तरफ अर्धसैनिक बलोँ , शहीदोँ के परिजनोँ तथा कर्मचारियोँ को भी शराब की सुविधा देने से तो इसका प्रचलन और अधिक बढ़ेगा । सेना तथा अर्धसैनिक बलोँ के अधिकारियोँ की ही तरह अन्य क्षेत्रोँ मेँ कार्यरत अधिकारी भी तो देश और समाज की सेवा करते हैँ । लेकिन सैन्य क्षेत्रोँ मेँ शराब को बढ़ावा देना समझ से बाहर है । सरकार व सभी लोगोँ को इस पर गंभीर चिँतन करके इन बुराईयोँ पर रोक लगानी चाहिए । देश के प्रति अपने कर्तव्योँ के निर्वहन मेँ यदि शराब की इतनी ही अहमियत है तो अन्य क्षेत्रोँ मेँ कार्यरत अधिकारियोँ को भी यह सुविधा मिलनी चाहिए ।
– सुरेन्द्रपाल,
मण्डी ( हि. प्र. )

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