Menu
blogid : 5617 postid : 12

मौन सहमति

शब्दस्वर
शब्दस्वर
  • 85 Posts
  • 344 Comments

मन्दिर के गर्भगृह मेँ
स्थापित है
न जाने कब से
विराजमान है ।
ईश्वर सर्वशक्तिमान
जिसे पूजते हैँ
और मानते है भगवान
सभी भक्त आस्थावान ।
भक्तजन मांगते है
ढेर सारी मनौतियाँ
धन-दौलत , नौकरी
शादी विवाह
औलाद का सुख
मुकद्दमेँ मेँ जीत
और न जाने क्या..कुछ ?
मात्र कुछ चढ़ावे
और कभी – कभी
कीमती भेँट के बदले मेँ ।
मौन और अंतरध्यान
जगत के पालनहार
कुछ बोलते नहीँ ।
चुप रहने का अर्थ होता है
मौन स्वीकूति !
भगवान और भक्त की
इसी मौन सहमति से
युगोँ से है प्रवाहमान
आस्था का सागर महान ।

– सुरेन्द्रपाल वैद्य ,
मण्डी ( हि. प्र. )

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh