- 85 Posts
- 344 Comments
अवैध रूप से घातक हथियार रखने के अपराध मेँ अभिनेता संजय दत्त को सुप्रीम कोर्ट ने पांच साल की सजा सुनाई है। देश में कानून का राज है और कानून की नजर में सब समान होते है। लेकिन यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर भी राजनीति का खेल शुरू हो गया है। बड़े अभिनेता या सैलिब्रिटी होने से किसी को संगीन अपराध करने की छूट नहीँ दी जा सकती, कानून सबके लिए बराबर होना चाहिए। यह बहुत ही दुभाग्यपूर्ण है कि प्रैस कांउसिल आफ इंडिया के चेयरमैन जस्टिस (रिटायर्ड) काटजू जैसे लोग भी अपराधी को माफी देने की अपील करें। उच्च पदोँ पर कार्यरत और अन्य ख्यातिप्राप्त लोगोँ को तो नैतिकता और देशभक्ति के नए आदर्श स्थापित करने चाहिए। आज अपराधियोँ की राजनीति में भारी घुसपैठ हो गई है जिसके कारण ये लोग असामाजिक तत्वोँ को बचाने में लगे रहते हैं।
वालीवुड के इस अभिनेता की सजा को लेकर देश में बहस छिड़ गई है। मीडिया को कवर करने के लिए एक कुछ दिनोँ के लिए एक मसाला मिल गया है। कांग्रेस में बैठे विकृत सोच के पुरोधा दिग्विजय सिहं जैसे दिग्भ्रमित लोग संजय दत के समर्थन में उतर आए है। वे इसको अपराधी मानने को तैयार ही नहीँ हैं। कांग्रेस उनकी राय को निजी बताकर अपना पल्लू झाड़ रही है। जबकि आवश्यकता तो इस बात की है फिल्म उद्योग से अंडरवल्ड के रिश्तों की गहराई से जाँच हो।
अन्ना हजारे ने इस मामले में सही कहा है कि न्यायपालिका ने अपना फैसला सुना दिया है जिसका पालन होना चाहिए। वे संजय दत को माफी देने के हक में नहीँ हैं। भाजपा और संघ ने भी संजय दत की सजा को माफ करने का विरोध किया है।
आज देश में जिस प्रकार का वातावरण बन बन रहा है वह जनता के लिए खतरे की घंटी है। लोकतंत्र आँसू बहा रहा है। नेता जनता से कटते जा रहे हैं जिन्होंने राजनीति को व्यवसाय बना दिया है। आज आवश्यकता है देश को एक विशुद्ध राष्ट्रवादी विकल्प की, लेकिन यह देश का दुभाग्य है कि ऐसा कोई भी निष्ठावान तथा दृढ़ इच्छाशक्ति वाला कोई भी दल देश में मौजूद नहीँ है।
अतः यह आवश्यक हो जाता है कि समाज के बुद्धिजीवी लोग सही दिशा व राष्ट्रहित मेँ विचार करेँ तभी देश का भला हो सकता है। ——————-
-सुरेन्द्रपाल वैद्य।
मण्डी, हिमाचल प्रदेश
Read Comments