शब्दस्वर
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नवरात्रों के पावन अवसर पर एक गज़ल ।
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*मां का सम्मान*
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जीवन में सत्कर्मों की पहचान करें हम।
मां चरणों का आजीवन सम्मान करेँ हम।
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निर्मात्री है कुदरत की
यह धरती माता।
इसकी रक्षा करने को अभियान करें हम।
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ममता का आंचल ही जग में सर्वोत्तम है।
अपनी मां के पूरे सब अरमान करें हम।
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भारत मां के चरणों में आये जग सारा।
आज इसे हर सुविधा से बलवान करें हम।
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कष्ट मिटेंगे खुशियों से महकेगा जीवन।
सच्चे मन से मां का पूजन ध्यान करें हम।
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दिल के टुकड़े हित अनगिन कष्टों को सहती।
ऐसी मां हित अपना जीवन दान करें हम।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य।
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