शब्दस्वर
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*मुक्तक*
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प्यार का जिन्दगी में जलाओ दिया।
फूल सा खिल उठेगा तुम्हारा हिया।
रौशनी प्यार की जब बिखर जायेगी।
घर लगेगा तुम्हेँ जगमगाता हुआ।
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रास्ते प्यार के हैं ये काँटों भरे।
देखकर हर कदम सोच कर ही धरें।
बढ़ गये तो नहीं हारना हौंसला।
छोड़ दो सोचना क्या करें न करें।
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साथ आओ बढ़ें प्रेम की राह पर।
खिल रहे फूल पर एक नजर डाल कर।
रुकना नहीं हैं हमें अब कहीँ।
यूँ महकता कटेगा ये पूरा सफर।
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प्रेम का गीत तुम गुनगुननाओ मधुर।
घोल दो प्यार में अपने मीठे से स्वर।
दिल में गहरे से जब ये उतर जायेंगे।
छलक आएगा आंखो में इसका असर।
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भोर की लालिमा से सजा है गगन।
बह रही है धरा पर शीतल पवन।
तेज का पुँज सूरज उदित हो रहा।
प्रफुल्लित हुए जा रहे सबके मन।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य।
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